उपभोक्ताओ पर पानी के बिल का बोझ बड़ने के आसार

राजधानी में पानी का औसत बिल 180 रुपये महीना से बढ़कर 270रुपए तक हो सकता है। इसके साथमें 215 रुपए का सीवेज कनेक्शन का बिल भी जुड़ेगा। यानी कुल राशि 485रुपए तक हो जाएगी। लेकिन यह बिल मकान के छोटे या बड़े होने के हिसाब से तय होगा। छोटे मकान में रहने वालों को कम और बड़े मकान में रहने वालोंको ज्यादा बिल चुकाना होगा।राज्य शासन द्वारा पानी, सीवेजऔर सफाई जैसी व्यवस्थाओं केयूजर चार्जेस वसूलने की नई नीति बनाने के बाद नए सिरे से टैरिफ तय किया जा रहा है। नगर निगमको अपने खर्चे की पूरी राशि अपने संसाधनों से ही जुटानी है। इसकेलिए इन सुविधाओं पर हो रहे खर्चे की गणना का काम चल रहा है।जल प्रदाय विभाग के सूत्रों के अनुसार नर्मदा, कोलार और बड़ा तालाब तीनों नेटवर्क पर होने वाले खर्चे को यदि देखें तो निगम का खर्चा लगभग 21 करोड़ है निगम के शहर में करीब 3.50 लाख पानी के कनेक्शनहैं, लेकिन एक लाख से अधिक से वसूली ही नहीं होपाती। इनमें कई सरकारी विभाग भी शामिल हैं। निगमशहर की जलप्रदाय व्यवस्था पर 170 करोड़ से अधिकखर्च करता है, लेकिन वसूली 90 करोड़ रुपए तक ही हो पाती है।यह क्षेत्र वसूली में पानी के मीटर पर सबसे ज्यादा पिछड़े 10 करोड़ खर्च कोहेफिजा शाहजहांनाबाद,पानी के मीटर लगाने पर रॉयल मार्केट, ईदगाह हिल्स, नगर निगम 10 करोड़ रुपए टीला जमालपुरा, कबीटपुरा,खर्च कर चुका है। लेकिन,इबाहिमगंज, इतवारा, जे पी नगर , मंगलवारा, जहांगीराबाद, क्षेत्रों में मीटर रीडिंग के आदि क्षेत्रों में बिलों की वसूली हिसाब से बिल वितरण सबसे ज्यादा पिछड़ी हुई है ।अभी सीवेज का कोई बिल नहीं अभी सीवेज का कोई बिल नहीं आता है। सीवेज नेटवर्क बिछने के साथ ही कनेक्शन दिए जा रहे हैं और सीवेज का बिल भी पानी के साथ जोड़ा जाएगा। पानी के बिल का 80% सीवेज का बिल होगा।साफ सफाई पर होने वाले खर्च की भी गणना की जा रही है। शहर में 20 फीसदी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है। सबसे ज्यादा बर्बादी कोलार लाइन से होती है। अब नर्मदा लाइन में भी जगह-जगह लीकेज हो गए हैं। नर्मदा,कोलार और बड़ा तालाब तीनों नेटवर्क में लीकेज सुधार पर निगम करीब 5 करोड़ रुपए खर्च करता है। यदि लीकेज वाले पानी को रोक लिया जाए तो 21 रुपए प्रति 1000 लीटर के खर्चे को घटाकर 19 रुपए तकलाया जा सकता है। रुपए प्रति 1000 लीटर आता है,जबकि निगम का टैरिफ14.30 रुपए प्रति 1000 लीटर के हिसाब से तयहै। यानी टैरिफ और वास्तविक खर्च में लगभग 50 प्रतिशत का अंतर है।अभी गणना कर रहे हैं, शासन को भेजेंगे प्रस्ताव अभी पानी सहित अन्य यूजर चार्जेस की गणना कर रहे हैं। अगले हफ्ते तक यह काम पूरा हो जाएगा। प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाएगा। अंतिम मंजूरी वहीं मिलेगी।