कैसे जाने , शहद( मधु) असली है या मिलावटी

HONEY | मधु(शहद) भी अनेक प्रकार का होता है जिसका कारण मधुमक्खियों की अलग-अलग जाति का होना है और फूलों का अनेकों प्रकार का होना है. अपने देश में कई तरह के शहद पाये जाते हैं जैसे देशी, पहाड़ी, पूर्वी, छोटी मक्खी का, बड़ी मक्खी का आदि. इनमें से पहाड़ी और छोटी मधुमक्खी का शहद सर्वोत्तम माना जाता है. आजकल असली शहद कम मिलावटी शहद बाजार में ज्यादा आ रहा है जिसे चीनी और गुड़ आदि डालकर बनाया जाता है और लोग इसे बड़े चाव से खरीदते भी है. शक्कर का बना हुआ मधु जाड़े में जम जाता है और उसका स्वाद भी चीनी जैसा ही रहता है. अच्छा शहद वही माना जाता है जिसका रंग गाय के घी के समान होता है और जिसमें अच्छी खुशबू आती हो. ऐसा शहद जितना पुराना होता जाएगा उतना ही बढ़िया और लाभदायक होगा.


कैसे जानें Honey (शहद) असली है या मिलावटी ?


आजकल बाज़ार में तरह-तरह के शहद उपलब्ध हैं लेकिन आज के इस समय में खाने-पीने की कोई भी चीज शुद्ध नहीं बची है तो ऐसे में ये लाज़मी है कि शहद भी बाजार में मिलावटी ही घूम रहा होगा. अत: हमें इसकी पहचान करनी होगी कि हम जो शहद खरीद रहे हैं वो असली है या नकली. निम्नलिखित तरीकों से आप असली शहद की पहचान कर सकते हैं:-


रुई की बत्ती बनाकर शहद में डुबो कर जला कर देखो, यदि बत्ती सही से जले और उसमें कोई चट-चट की आवाज ना आए तो समझ जाओ शहद असली है और शुद्ध है.


यदि शहद में मक्खी गिर जाए और वह बाहर निकलकर तुरंत उड़ भी जाए तो समझ सकते हैं कि शहद असली है शुद्ध है.


अगर शहद असली है तो यदि आप उसे कुत्ते के सामने खाने के लिए डालोगे तो कुत्ता उस शहद को नहीं खायेगा क्योंकि कुत्ता कभी शहद नहीं खाता है.


सूक्ष्मदर्शकयंत्र के द्वारा शहद के रजकणों की परीक्षा करके भी असली शहद की पहचान की जा सकती है. सामान्यत: अच्छा और शुद्ध शहद अपने रंग, स्वाद और खुशबू से ही पहचान लिया जाता है.


कृत्रिम तरीके से बनाये गए शहद के अलावा कुछ शहद ऐसे भी होते हैं जिनमें अनेक प्रकार के विष होते हैं जो शहद ज़हरीली मधुमक्खियों के द्वारा बनाया जाता है वो विशेष रूप से ज़हरीला होता है. यदि साधारण मधुमक्खियां भी विषयुक्त फूलों से शहद इकट्ठा करें तो भी शहद ज़हरीला होता है लेकिन यह इतना ज़हरीला नहीं होता जितना कि ज़हरीली मधुमक्खी के द्वारा इकट्ठा किया हुआ शहद होता है. कुछ बेवकूफ और लालची लोग शहद निकालते समय पूरा छत्ता ही निचोड़ देते हैं जिसके कारण ज़हरीली मक्खी के अंडे बच्चों का रस भी शहद में मिल जाता है और वह शहद और भी ज़हरीला हो जाता है. ऐसे शहद का रंग हल्का काला होता है और उसमें जल की मात्रा भी अधिक दिखती है. कुछ लोग उस जल को सुखाने के लिए शहद को आग पर चढ़ा देते हैं जिससे वह और भी ज़हरीला हो जाता है. इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि शहद को कभी आग पर गर्म ना करें. आग पर शहद गर्म करने या पकाने से वह ज़हर यानि विष के समान हो जाता है और उसके सेवन से शरीर में बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न होती है. याद रखें जो शहद दिखने में काला हो या बहुत पतला या गन्ध मार रहा हो तो उसे कभी ना खरीदें ना ही उसका सेवन करें


ग्रंथों में शहद को शीतल, मधुर, हलका, स्वादिष्ट, वर्गकारक, कान्तिवर्धक, आनन्ददायक, संशोधक, बलकारक, त्रिदोषनाशक, स्वरदोषक, हृदय के लिए हितकारी और घावों को भरने वाला कहा गया है. शहद को बवासीर, खांसी, पित्त, कफ, अतिसार, दाह, हिचकी, वायु विष, भ्रम, श्वास, रक्त प्रमेह, नेत्ररोग, संग्रहणी आदि में बहुत अधिक लाभदायक माना गया है.


हाल के शहद की अपेक्षा एक साल पुराना शहद सर्वोत्तम गुणकारी होता है. पुराने समय में वैद्य शहद को औषधि के रूप में प्रयोग करते थे. मुख्यत: गले और छाती के रोग के लिए शहद बहुत ही बलवर्धक होता है. जिन स्थानों पर शहद अधिकता में होता है चीनी कम मिलती है वहां लोग इसकी मिठाई बनाकर खाते हैं


ध्यान देने योग्य बात:–


शहद को कभी भी घी के साथ मिलाकर ना खाएं


शहद कभी भी सड़ता या खराब नहीं होता है और यदि इसमें कोई चीज डाल दी जाए तो यह उसे भी जल्दी सड़ने-गलने या खराब होने नहीं देता.


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धन्यवाद